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जिस चंद्रमा का कोई नज़ारा धरती से अब तक नहीं देखा गया, Chandrayaan-3 द्वारा भेजी गई हैं उसकी तस्वीरें!

जिस चंद्रमा का कोई नज़ारा धरती से अब तक नहीं देखा गया, Chandrayaan-3 द्वारा भेजी गई हैं उसकी तस्वीरें!

moon photos by isro

Chandrayaan-3 को चांद पर किस क्षेत्र में उतरना है, इसे एक बड़े पत्थर से टक्कर नहीं मिलनी चाहिए, और वह गड्ढे में नहीं गिरना चाहिए। एक विशेष कैमरा ने चंद्र की नई तस्वीरें क्लिक की हैं, जो चंद्रयान-3 को सतह पर लैंड होने के समय के खतरों से बचाने के लिए बनाई गई है। इसके साथ ही, यह सुरक्षित लैंडिंग को सुनिश्चित करेगा।

वह चंद्रमा का वो अदूरा हिस्सा जिसकी छवियाँ अब जारी की गई हैं, वो जो कभी पृथ्वी की दिशा में नहीं आता। ये छवियाँ ISRO ने जारी की है, यह हमें उस स्थान की दुनिया से अनजाने चेहरे को दिखा रही है, जिसे हमने अब तक नहीं देखा था।

Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर Lander Hazard Detection and Avoidance Camera (LHDAC) ने ये तस्वीरें कैद की हैं। यहाँ गहराईयों की जाँच की गई है, कुछ गड्ढों का भी दृश्य दिखाया गया है। इनमें से कुछ गड्ढे बहुत खतरनाक लग रहे हैं, जबकि कुछ में एक बड़े मैदान का दृश्य भी दिख रहा है।

LHDAC कैमरा विशेष रूप से इस कार्य के लिए डिज़ाइन किया गया है कि कैसे विक्रम लैंडर (Vikram Lander) को चाँद की सतह पर सुरक्षित रूप से उतारा जा सके। इसे अहमदाबाद के इसरो स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) ने विकसित किया है। इस कैमरे के साथ कुछ अन्य पेलोड्स भी सहयोग करेंगे।

ये यंत्र सुरक्षित लैंडिंग में होंगे सहायक

chandrayaan 3


LHDAC के साथ वे पेलोड्स शामिल हैं जो लैंडिंग के समय मदद करेंगे, उनमें शामिल हैं – लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC), लेजर अल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा (LHVC)। इसके साथ सहायता करके लैंडर को सुरक्षित तरीके से उतारा जा सकता है।

लैंडर किस गति से उतरेगा नीचे

जब विक्रम लैंडर चंद्र की सतह पर पहुंचेगा, तो उसकी गति लगभग 2 मीटर प्रति सेकंड होगी। हॉरिजॉन्टल गति 0.5 मीटर प्रति सेकंड होगी। विक्रम 12 डिग्री झुकी ढलान पर उतर सकता है। इसी गति, दिशा, और समतल भूमि की खोज में ये सभी उपकरण विक्रम की मदद करेंगे। ये सभी यंत्र  लैंडिंग से करीब 500 मीटर पहले सक्रिय हो जाएंगे।

पृथ्वी पर उतरने के बाद कौन-कौन से यंत्र सक्रिय होंगे?

उसके पश्चात्, विक्रम लैंडर में स्थित चार पेलोड्स कार्य आरंभ करेंगे। इनमें रंभा (RAMBHA) शामिल है, जो चांद की सतह पर आते सूर्य के प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और परिवर्तन की जाँच करेगा। फिर है चास्टे (ChaSTE), जो चांद की सतह की तापमान की जाँच करेगा। इल्सा (ILSA) भूकंपीय गतिविधियों की जाँच के लिए लैंडिंग स्थल के आसपास होगा। आखिरकार, लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरिया (LRA) चांद की चाल को समझने में मदद करेगा।

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