ऑनलाइन धोखाधड़ी: 78 साल के एक व्यक्ति को ट्रेन के टिकट कैंसिल करवाना भारी पड़ा। इसका मतलब यह है कि वो व्यक्ति बहुत लम्बी लाइनों से बचने के लिए सोचते हुए ट्रेन के टिकट को ऑनलाइन रद्द करवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इस दौरान उन्हें एक धोखाधड़ी योजना में फंस जाने का सामना करना पड़ा और उनके बैंक खाते से 4 लाख रुपये चले गए। इसके परिणामस्वरूप, वो काफी नुकसान में आ गए। उन्होंने उस ऑनलाइन वेबसाइट का आवलोकन किया जिसके माध्यम से टिकट कैंसिल किया जा सकता था, लेकिन यह वास्तविकता में एक फर्जी वेबसाइट थी।
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने वहां एक वेबसाइट पर क्लिक किया जिसके बारे में उनके पास जानकारी थी जिसके माध्यम से वे अपने टिकट को रद्द कर सकते थे। उसके बाद, उन्होंने एक व्यक्ति से कॉल प्राप्त की, जिसने खुद को रेलवे के कर्मचारी बताया और उन्हें पूछा कि क्या वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बात कर सकते हैं। उसके बाद उस व्यक्ति ने उन्हें टिकट कैंसिल करवाने के लिए निर्देश देना शुरू किया।
मदद के बहाने लूटे रुपये
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी बताते हुए कहते हैं कि वे उस व्यक्ति की मदद कर रहे हैं। इसके बाद, धोखाधड़ी ने विक्टिम को निर्देश देना शुरू किया और उन्हें ब्लू कलर के एक लोगो को स्क्रीन पर दिखाया, जिसके बाद उनके मोबाइल पर रिमोट कंट्रोल ढेर हो गया, और फिर धोखाधड़ी का हाथ मोबाइल पर पहुंच गया।
कॉल करके लेली सारी बैंक डिटेल्स
उसके अलावा, धोखाधड़ी ने विक्टिम के बैंक खाते और ATM CARD नंबर जैसी जानकारियां भी मांगी, और उन्होंने वह सभी जानकारियां शेयर कर दी। इसके बाद, धोखाधड़ी ने विक्टिम के मोबाइल में एक वायरस इंस्टॉल किया, जिसके बाद वह उनके मोबाइल को दूरस्थ रूप से नियंत्रित कर सका। फिर धोखाधड़ी ने विक्टिम के मोबाइल से डेटा, बैंक खाते जानकारियां, और OTP जैसी चीजें चुराई।
स्कैम का पता कब लगा
विक्टिम को उसके बैंक खाते से एक संदेश आया, जिसमें बताया गया कि 4,05,919 रुपये कट चुके हैं। इसके बाद, विक्टिम को पता चला कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी और जानकारी हासिल की कि धोखाधड़ी शायद बिहार या पश्चिम बंगाल से कॉल कर रहे थे। साइबर पुलिस के अनुसार, उनके मोबाइल में एक एप्लिकेशन के जरिए धोखाधड़ी ने उनका मोबाइल नियंत्रित किया था।
कैसे हैक होता है डिवाइस?
धोखाधड़ी आमतौर पर विक्टिम के मोबाइल में विभिन्न प्रकार के वायरस इंस्टॉल करते हैं, जिनके माध्यम से वे उनके मोबाइल का नियंत्रण संभाल सकते हैं। इनमें से एक रिमोट एक्सेस ट्रोजन (RAT) है, जो धोखाधड़ी को उपयोगकर्ता के सिस्टम का नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करता है। ऐसे में, संभावना है कि विक्टिम के मोबाइल में भी धोखाधड़ी ने रिमोट एक्सेस ट्रोजन (RAT) का इस्तेमाल किया हो। इसके अलावा, एक कीलॉगर्स भी है जिसका उपयोग उपयोगकर्ता द्वारा दबाए गए बटनों की जानकारी को साझा करने के लिए होता है। ऐसे में, धोखाधड़ी बैंक जानकारियां, लॉगिन और पासवर्ड आदि तक पहुंच सकते हैं।
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