Independence Day Special: 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप प्रदर्शित किया गया था। इस अद्वितीय परिप्रेक्ष्य में, तिरंगे के डिज़ाइन का श्रेय पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति को जाता है, हालांकि यह बात केवल कुछ ही लोग जानते हैं।
भारत का 77वाँ स्वतंत्रता दिवस
तिरंगा न केवल हमारे देश की शान, शक्ति और मान का प्रतीक है बल्कि यह हम भारतीयों की आत्मा का परिचय है। यह झंडा सिर्फ एक झंडा नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और समृद्ध राष्ट्र की उच्चतम भावना का प्रतीक है। आइए, 77वें स्वतंत्रता दिवस
के अवसर पर, हम अपने देश के तिरंगे झंडे से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
एकता को दिखाते हुए बना देश का तिरंगा
1921 में आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने भारत का तिरंगा झंडा बनाया। उस तिरंगे में केसरिया, लाल, हरा, और सफेद रंग थे, जो अलग-अलग धर्मों की एकता को दिखाते थे। जगह-जगह चरखे की चित्रण भी किया गया था।
ध्वज के बीच अशोक चक्र रखने की सलाह, गांधी जी ने दी
वैकेंया ने महात्मा गांधी से प्रेरिट हुए। इस आदर्श में, उन्होंने गांधी जी से राष्ट्रीय ध्वज के बारे में सलाह लेना बेहतर समझा।
लाल छोड़, केसरिया बदला
पिंगली वेंकैया ने लाल और हरे रंग पर अशोक चक्र बनाया, परंतु गांधी जी के विचार से यह झंडा सम्पूर्ण भारत को प्रतिनिधित्व नही कर सकता था. 1931 से लाल रंग की जगह केसरिया रंग का उपयोग होने लगा। आपको बता दें, राष्ट्रीय ध्वज में रंग के संबंध में विवाद होते रहे।पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार तिरंगा झंडा फहराया, और 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा के बैठक में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया गया.
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